उत्तरः उत्खनित विभिन्न सैंधव स्थलों के परिप्रेक्ष्य में स्पष्ट है कि यह सभ्यता उत्तर में कश्मीर के मांदा से लेकर पूर्व में आलमगीरपुर तक विस्तृत थी। पश्चिम से पूर्व में यह 1600 कि.मी. तक तथा उत्तर-दक्षिण में 1100 कि.मी. तक विस्तृत थी, जो समकालीन अन्य किसी भी सभ्यता की अपेक्षा अधिक भू-क्षेत्रों में फैली हुई थी। इसकी आकृति त्रिभुजाकार और क्षेत्रफल 1299,600 वर्ग कि.मी. था। इतने बड़े क्षेत्र में फैले सिंधु सभ्यता के अधिकांश स्थल (बस्तियां) – बड़े लवणीय भू-जल वाले अर्धशुष्क क्षेत्रों में अवस्थित थी।
इसके कई कारण हैं।
हड़प्पा सभ्यता के अगर हम लवणीय भू-जल वाले अर्द्धशुष्क क्षेत्र की बात करें तो इसमें मुख्यतः गुजरात के कच्छ एवं काठिवाड़ क्षेत्र जिसमें रंगपुर, लोथल, सुरकोटदा, रोजदी आदि, पूर्वी पंजाब जिसमें बहावलपुर एवं हरियाणा तथा कुछ राजस्थान स्थान के क्षेत्र आते हैं। इन क्षेत्रों में अधिकांश बस्तियां पायी गईं। इन बस्तियों से ज्ञात अवशेषों के अध्ययन से पता चलता है कि ये सभी बस्तियां मुख्यतः ग्रामीण बस्तियां थी। लगभग 1800 BC के आस-पास इन बस्तियों की जनसंख्या में काफी वृद्धि देखने को मिली।
1800 BC का समय हड़प्पा सभ्यता के पतन का समय था। इस समय मोहनजोदड़ो, हड़प्पा, चन्दुहणो, राखीगढ़ी, कालीबंगा आदि स्थलों की नगरीय विशेषताएं लुप्त होने लगी थी। इन क्षेत्रों की उर्वरा शक्ति नष्ट होने लगी तथा लोगों की आजीविका कठिन हो गई। अब ये लोग उन क्षेत्रों में बसने लगे जहां आजीविका के अच्छे साधन थे। यह क्षेत्र लवणीय भू-जल वाले अर्द्धशुष्क थे जहां ये लोग बसने लगे।
लवणीय भू-जल वाले अर्द्धशुष्क क्षेत्रों में अधिकांश बस्तियों के पाए जाने का दूसरा कारण यह भी है कि यह क्षेत्र हड़प्पा सभ्यता के परिवर्तन से ज्यादा निरंतरता के तत्व को ज्यादा धारण करता है। यही कारण है कि इस क्षेत्र में गैरिक मृदभांड संस्कृति के साथ-साथ लाल काली पॉलिस वाले मृदभांड संस्कृति के तत्व भी पाए गए जिसका संबंध हड़प्पा संस्कृति के बाद ताम्रपाषाणीक संस्कृति से था।
इस क्षेत्र में अधिकांश बस्तियों के पाए जाने का तीसरा कारण यह है कि इस क्षेत्र में कृषि आधारित छोटे-मोटे घरेलू उद्योग धंधे से लोग अपना जीवन यापन करते थे। इस क्षेत्र में पारिस्थितिकी दबाव अन्य हड़प्पाई स्थल की अपेक्षा कम था तथा पारिस्थितिकी असंतुलन का सामना इन लोगों को कम करना पड़ा और ये बस्तियां उत्खनन में अन्य हड़प्पाई स्थलों की अपेक्षा ज्यादा निकल कर सामने आई।